डीआरडीओ उच्च ऊंचाई पर कंधे से दागी जाने वाली वायु रक्षा मिसाइलों का परीक्षण करेगा, जानिए इसके बारे में सब कुछ

डीआरडीओ उच्च ऊंचाई पर कंधे से दागी जाने वाली वायु रक्षा मिसाइलों का परीक्षण करेगा, जानिए इसके बारे में सब कुछ


छवि स्रोत : पीटीआई/फाइल फोटो मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल का परीक्षण किया जा रहा है।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) स्वदेशी कंधे से दागी जाने वाली वायु रक्षा मिसाइलों के उच्च ऊंचाई वाले परीक्षण करने के लिए तैयार है। ये परीक्षण उपयोगकर्ता मूल्यांकन के लिए मिसाइल प्रणालियों को भारतीय सेना को सौंपने की पूर्वसूचना हैं। भारतीय सेना और वायु सेना की बहुत कम दूरी की वायु रक्षा (VSHORAD) प्रणालियों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए विकसित की गई ये मिसाइलें सीमावर्ती क्षेत्रों में ड्रोन, लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर जैसे हवाई खतरों का मुकाबला करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं।

उच्च-ऊंचाई परीक्षण

रक्षा अधिकारियों ने बताया कि ये परीक्षण लद्दाख या सिक्किम जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में किए जाएंगे। इन परीक्षणों से चुनौतीपूर्ण वातावरण में मिसाइल प्रणाली के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाएगा।

उन्नत लक्ष्यीकरण क्षमताएँ

मिसाइल प्रणाली ने लंबी दूरी और छोटी दूरी दोनों ही तरह के लक्ष्यों को लॉक करने और उन्हें बेअसर करने की क्षमता का प्रदर्शन किया है। छोटी दूरी के लक्ष्यीकरण से जुड़ी समस्याओं का समाधान कर लिया गया है और यह प्रणाली पूर्णता की ओर अग्रसर है।

इन्वेंट्री की कमी को दूर करना

भारतीय सेना के नेतृत्व में भारतीय सेना विभिन्न VSHORAD मिसाइलों की कमी को दूर करने में जुटी है। पाकिस्तान और चीन से बढ़ते हवाई खतरों के बीच सेना इन प्रणालियों को स्वदेशी रूप से विकसित करने के लिए 6,800 करोड़ रुपये की दो परियोजनाओं पर काम कर रही है।

वर्तमान इन्वेंट्री स्थिति

सेना और वायुसेना के भंडार में मौजूद VSHORAD मिसाइलें इन्फ्रारेड होमिंग गाइडेंस सिस्टम का इस्तेमाल करती हैं। 1989 में शामिल की गई इग्ला 1M VSHORAD मिसाइल प्रणाली को 2013 में हटा दिया जाना था, जिससे अपडेटेड सिस्टम की ज़रूरत पर ज़ोर पड़ा।

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