‘जातीय विभाजन को पाटने के लिए गृह मंत्रालय कुकी और मैतेई लोगों से बात करेगा’: अमित शाह ने मणिपुर की सुरक्षा की समीक्षा की

Amit Shah Reviews Manipur Security Situation MHA Talk To Kukis Meiteis Bridge Ethnic Divide


केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को मणिपुर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। बैठक के दौरान उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय जल्द से जल्द दोनों समूहों, मीतई और कुकी से बात करेगा, ताकि मणिपुर में हिंसा को बढ़ावा देने वाले जातीय विभाजन को पाटा जा सके।

गृह मंत्रालय के बयान के अनुसार, गृह मंत्री अमित शाह ने “चल रहे जातीय संघर्ष को हल करने के लिए समन्वित दृष्टिकोण के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय जल्द से जल्द दोनों समूहों, मीतेई और कुकी से बात करेगा, ताकि जातीय विभाजन को पाटा जा सके।”

बैठक में थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे, थल सेनाध्यक्ष (पदनाम) लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, असम राइफल्स के महानिदेशक, मणिपुर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी), केन्द्रीय गृह सचिव, खुफिया ब्यूरो (आईबी) के निदेशक तथा सेना और गृह मंत्रालय (एमएचए) के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

बैठक का उद्देश्य मणिपुर में सुरक्षा स्थिति की समग्र समीक्षा करना था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पूर्वोत्तर राज्य में आगे कोई हिंसक घटना न घटे।

उच्च स्तरीय बैठक के दौरान अमित शाह ने कहा कि मणिपुर में हिंसा के दोषियों के खिलाफ कानून के अनुसार सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि आवश्यकता पड़ने पर सुरक्षा बलों की संख्या बढ़ाई जाएगी।

यह भी पढ़ें | ‘मणिपुर जल रहा है’: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने ‘चुनावी बयानबाजी’ की बजाय राज्य के संकट को प्राथमिकता देने का आग्रह किया

एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि गृह मंत्री ने कहा कि राज्य में शांति और सौहार्द बहाल करने के लिए सुरक्षा बलों की तैनाती रणनीतिक रूप से की जाएगी।

गृह मंत्रालय के बयान में कहा गया है, “प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार मणिपुर के सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।” इसमें आगे कहा गया है कि “भारत सरकार राज्य में सुरक्षा स्थिति को मजबूत करने में मणिपुर सरकार को सक्रिय रूप से सहयोग दे रही है।”

उन्होंने मणिपुर के मुख्य सचिव को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि विस्थापित लोगों को उचित स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाएं मिलें तथा उनके पुनर्वास की भी देखरेख की जाए।

बैठक में शाह ने राहत शिविरों की स्थिति की समीक्षा की, खास तौर पर भोजन, पानी, दवाइयों और अन्य बुनियादी सुविधाओं की समुचित उपलब्धता के संबंध में। बयान में कहा गया है कि उन्होंने “चल रहे जातीय संघर्ष को हल करने के लिए समन्वित दृष्टिकोण के महत्व” पर भी जोर दिया।

मणिपुर एक साल से अधिक समय से जातीय हिंसा की चपेट में है, जब 3 मई, 2023 को राज्य में आदिवासी एकजुटता मार्च के बाद हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें बहुसंख्यक मैतेई समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग का विरोध किया गया था।

तब से जारी हिंसा में कुकी और मीतेई समुदायों के 220 से अधिक लोगों के साथ-साथ सुरक्षाकर्मियों की भी जान जा चुकी है।

यह भी पढ़ें: ‘मणिपुर में शांति लाओ’, ‘चुनाव के दौरान झूठ फैलाया गया’: आरएसएस कार्यक्रम में मोहन भागवत का भाषण वायरल


केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को मणिपुर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। बैठक के दौरान उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय जल्द से जल्द दोनों समूहों, मीतई और कुकी से बात करेगा, ताकि मणिपुर में हिंसा को बढ़ावा देने वाले जातीय विभाजन को पाटा जा सके।

गृह मंत्रालय के बयान के अनुसार, गृह मंत्री अमित शाह ने “चल रहे जातीय संघर्ष को हल करने के लिए समन्वित दृष्टिकोण के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय जल्द से जल्द दोनों समूहों, मीतेई और कुकी से बात करेगा, ताकि जातीय विभाजन को पाटा जा सके।”

बैठक में थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे, थल सेनाध्यक्ष (पदनाम) लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, असम राइफल्स के महानिदेशक, मणिपुर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी), केन्द्रीय गृह सचिव, खुफिया ब्यूरो (आईबी) के निदेशक तथा सेना और गृह मंत्रालय (एमएचए) के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

बैठक का उद्देश्य मणिपुर में सुरक्षा स्थिति की समग्र समीक्षा करना था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पूर्वोत्तर राज्य में आगे कोई हिंसक घटना न घटे।

उच्च स्तरीय बैठक के दौरान अमित शाह ने कहा कि मणिपुर में हिंसा के दोषियों के खिलाफ कानून के अनुसार सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि आवश्यकता पड़ने पर सुरक्षा बलों की संख्या बढ़ाई जाएगी।

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एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि गृह मंत्री ने कहा कि राज्य में शांति और सौहार्द बहाल करने के लिए सुरक्षा बलों की तैनाती रणनीतिक रूप से की जाएगी।

गृह मंत्रालय के बयान में कहा गया है, “प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार मणिपुर के सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।” इसमें आगे कहा गया है कि “भारत सरकार राज्य में सुरक्षा स्थिति को मजबूत करने में मणिपुर सरकार को सक्रिय रूप से सहयोग दे रही है।”

उन्होंने मणिपुर के मुख्य सचिव को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि विस्थापित लोगों को उचित स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाएं मिलें तथा उनके पुनर्वास की भी देखरेख की जाए।

बैठक में शाह ने राहत शिविरों की स्थिति की समीक्षा की, खास तौर पर भोजन, पानी, दवाइयों और अन्य बुनियादी सुविधाओं की समुचित उपलब्धता के संबंध में। बयान में कहा गया है कि उन्होंने “चल रहे जातीय संघर्ष को हल करने के लिए समन्वित दृष्टिकोण के महत्व” पर भी जोर दिया।

मणिपुर एक साल से अधिक समय से जातीय हिंसा की चपेट में है, जब 3 मई, 2023 को राज्य में आदिवासी एकजुटता मार्च के बाद हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें बहुसंख्यक मैतेई समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग का विरोध किया गया था।

तब से जारी हिंसा में कुकी और मीतेई समुदायों के 220 से अधिक लोगों के साथ-साथ सुरक्षाकर्मियों की भी जान जा चुकी है।

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