‘अगर अनुच्छेद 370, समान नागरिक संहिता पर बोलना, मुस्लिम आरक्षण का विरोध करना धर्म आधारित अभियान है…’: शाह

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नयी दिल्ली, 26 मई (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए ‘‘सकारात्मक जनादेश’’ के कारण भाजपा को विपक्ष शासित राज्यों में बड़ी जीत मिलेगी। उन्होंने चुनाव आयोग की विपक्ष द्वारा की गई आलोचना को आसन्न हार को छिपाने की एक चाल करार दिया।

पीटीआई के साथ एक साक्षात्कार में शाह ने दावा किया कि उनकी पार्टी ने किसी भी धर्म-आधारित अभियान का सहारा नहीं लिया है, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि यदि मुसलमानों के लिए आरक्षण के खिलाफ प्रचार करना और अनुच्छेद 370 को समाप्त करने और समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए मतदाताओं तक पहुंचना धर्म-आधारित अभियान है, तो भाजपा ने ऐसा किया है और ऐसा करना जारी रखेगी।

उन्होंने चुनाव आंकड़ों के प्रबंधन और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के मुद्दे पर चुनाव आयोग की विपक्ष की आलोचना को खारिज करते हुए कहा कि इसी तरह के प्रोटोकॉल और प्रथाओं का पालन पिछले विधानसभा चुनावों में किया गया है, जिनमें तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और हिमाचल प्रदेश शामिल हैं, जहां भाजपा हार गई।

उन्होंने कहा, “अगर वे चुनाव निष्पक्ष थे, तो यह चुनाव भी निष्पक्ष है। जब आप हार देखते हैं, तो आप पहले से ही रोना शुरू कर देते हैं और विदेश जाने के बहाने खोजने लगते हैं। यह चलता नहीं रह सकता। वे 6 जून को छुट्टी पर जाना चाहते हैं। इसलिए वे कुछ न कुछ कह रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि मतदान प्रक्रिया पर कांग्रेस के सवाल राहुल गांधी की विफलता को छिपाने के लिए उठाए जा रहे हैं।

शाह ने कहा कि विपक्षी दल ने चुनाव से पहले चुनाव निगरानी संस्था द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में ऐसा कोई सुझाव नहीं दिया था। “जब भी विपक्ष चुनाव हारता है, तो वे कुछ सवाल उठाते हैं। ईवीएम में धांधली की कोई संभावना नहीं है और वे ऐसा चुनाव चाहते हैं जिसमें धांधली हो सके।” सात चरणों वाले लोकसभा चुनाव के छह चरण समाप्त होने के बाद, भाजपा के प्रमुख रणनीतिकार ने कहा कि पार्टी का यह दावा कि 4 जून को चुनाव परिणाम आने पर उसका गठबंधन 400 सीटों का आंकड़ा पार कर जाएगा, केवल चुनावी नारा नहीं है, बल्कि एक सुविचारित लक्ष्य है।

उन्होंने कहा, “हम निश्चित रूप से 400 सीटों को पार करेंगे। हम ओडिशा, आंध्र प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश में भी सरकार बनाएंगे।” तीनों राज्यों में विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनावों के साथ ही हुए हैं।

शाह ने अपने विशिष्ट आक्रामक और स्पष्ट अंदाज में कहा, “यदि हमें 399 सीटें मिलती हैं और आप कहते हैं कि हमने 400 का आंकड़ा पार नहीं किया है, तो यह आपकी समझदारी है। लेकिन ‘400 पार’ का नारा गणना और विचार पर आधारित है।”

यह पूछे जाने पर कि क्या पार्टी मोदी पर अत्यधिक निर्भर है और क्या अपेक्षाकृत कमजोर विपक्ष को उसके गठबंधन से लाभ मिल रहा है, उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन को नकारात्मक नहीं बल्कि सकारात्मक वोट मिल रहा है।

उन्होंने कहा, “यह नकारात्मक मत नहीं है। कृपया एक बात स्वीकार करें। यह सकारात्मक मत है। जहां (राज्यों में) हम सत्ता में हैं, वहां हमें लोगों का समर्थन मिलेगा। और मेरे शब्दों पर गौर करें…जहां हम नहीं हैं, वहां हमें बड़ा जनादेश मिलेगा। इसलिए यह केंद्र सरकार के काम के लिए सकारात्मक जनादेश है।”

उन्होंने कहा कि मोदी ने भाजपा की मुख्य वैचारिक योजनाओं को मूर्त रूप दिया है, चाहे वह गरीबों का कल्याण हो, सुरक्षित देश हो, अनुच्छेद 370 को हटाना हो, पूरे देश में एक समान कानून (यूसीसी), महिला आरक्षण हो या राम मंदिर हो, उनकी लोकप्रियता स्वाभाविक रूप से भाजपा की ताकत बन जाती है। “वह हमारे सबसे बड़े नेता हैं।” उन्होंने मुख्य विपक्षी दल पर मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया, और जोर देकर कहा कि भाजपा पर झूठ बोलने का उसका आरोप खोखला है क्योंकि वह कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में पहले ही इस तरह का धार्मिक कोटा लागू कर चुकी है।

उन्होंने धार्मिक कोटा और धन के पुनर्वितरण के मुद्दे पर कांग्रेस पर मोदी के तीखे हमले का बचाव करते हुए कहा, “यदि वे लोगों को गुमराह करने के लिए सच्चाई को टुकड़ों में बांटते हैं, तो क्या यह हमारा कर्तव्य नहीं है कि हम इन टुकड़ों को एक साथ जोड़ें और लोगों को सूचित करें।”

मोदी के खिलाफ कांग्रेस के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “आपने राहुल गांधी का एक्स-रे भाषण सुना और समझा होगा। तो आप किस चीज का एक्स-रे चाहते हैं? और अगर आप इसे समान रूप से वितरित करना चाहते हैं, तो आप किसे वितरित करेंगे? मनमोहन सिंह जी ने कहा कि अल्पसंख्यक उनकी प्राथमिकता हैं। आप इसका क्या मतलब निकालते हैं।”

गरीब परिवारों की महिलाओं को एक लाख रुपये देने के कांग्रेस के वादे के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि पार्टी का इतिहास सत्ता में आने के लिए लोकलुभावन आश्वासन देने का रहा है, लेकिन उन्हें कभी पूरा नहीं किया गया।

शाह ने कहा, “वे दो-तीन राज्यों में सत्ता में हैं। उन्हें कम से कम वहां यह वादा पूरा करना चाहिए। कम से कम 1,500 रुपये देना शुरू करें जो आपने (हिमाचल प्रदेश में) वादा किया था। आप 1 लाख रुपये की बात कर रहे हैं, कम से कम 1,500 रुपये देना शुरू करें। उन पर कौन भरोसा करेगा।” जिन राज्यों में सत्तारूढ़ पार्टी बड़ी बढ़त की उम्मीद कर रही है, वहां भाजपा के लिए अपना अनुमान व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में यह 24 से 30 सीटें और ओडिशा में 16-17 सीटें जीतेगी। आंध्र प्रदेश में इसका गठबंधन करीब 17 सीटें जीतेगा। तीनों राज्यों में क्रमश: 42, 21 और 25 लोकसभा सीटें हैं।

शाह ने दावा किया कि भाजपा ओडिशा विधानसभा में पहली बार बहुमत हासिल करने के लिए तैयार है और 147 सदस्यीय सदन में 75 सीटें जीतने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि आंध्र में भी उसका गठबंधन सत्ता में आएगा।

उन्होंने कहा कि लोग भ्रष्टाचार, गाय और कोयला तस्करी तथा घुसपैठ के मुद्दों पर ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार से नाराज हैं और संदेशखली मुद्दे ने यह उजागर कर दिया है कि वह अपनी तुष्टिकरण की राजनीति में किस हद तक गिर सकती हैं।

मोदी के नेतृत्व में भाजपा तमिलनाडु और केरल में जोर आजमा रही है, जहां पार्टी अब तक इन चुनावों में ज्यादा प्रगति नहीं कर पाई है। शाह ने कहा कि पार्टी निश्चित रूप से द्रविड़ राज्य में अपना वोट शेयर बढ़ाएगी।

उन्होंने कहा, “यह बहुत कड़ा मुकाबला है। हमारे पास नई टीम है। मैं आंकड़ों के साथ अनुमान नहीं लगाऊंगा। लेकिन हमारी सीटें और वोट शेयर बढ़ेंगे और हम निश्चित रूप से तमिलनाडु में एक मजबूत नींव रखेंगे। हम केरल में अपना खाता खोल सकते हैं। हम तीन सीटों पर अच्छी स्थिति में हैं।”

(यह रिपोर्ट ऑटो-जेनरेटेड सिंडिकेट वायर फीड के हिस्से के रूप में प्रकाशित की गई है। हेडलाइन के अलावा, एबीपी लाइव द्वारा कॉपी में कोई संपादन नहीं किया गया है।)


नयी दिल्ली, 26 मई (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए ‘‘सकारात्मक जनादेश’’ के कारण भाजपा को विपक्ष शासित राज्यों में बड़ी जीत मिलेगी। उन्होंने चुनाव आयोग की विपक्ष द्वारा की गई आलोचना को आसन्न हार को छिपाने की एक चाल करार दिया।

पीटीआई के साथ एक साक्षात्कार में शाह ने दावा किया कि उनकी पार्टी ने किसी भी धर्म-आधारित अभियान का सहारा नहीं लिया है, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि यदि मुसलमानों के लिए आरक्षण के खिलाफ प्रचार करना और अनुच्छेद 370 को समाप्त करने और समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए मतदाताओं तक पहुंचना धर्म-आधारित अभियान है, तो भाजपा ने ऐसा किया है और ऐसा करना जारी रखेगी।

उन्होंने चुनाव आंकड़ों के प्रबंधन और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के मुद्दे पर चुनाव आयोग की विपक्ष की आलोचना को खारिज करते हुए कहा कि इसी तरह के प्रोटोकॉल और प्रथाओं का पालन पिछले विधानसभा चुनावों में किया गया है, जिनमें तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और हिमाचल प्रदेश शामिल हैं, जहां भाजपा हार गई।

उन्होंने कहा, “अगर वे चुनाव निष्पक्ष थे, तो यह चुनाव भी निष्पक्ष है। जब आप हार देखते हैं, तो आप पहले से ही रोना शुरू कर देते हैं और विदेश जाने के बहाने खोजने लगते हैं। यह चलता नहीं रह सकता। वे 6 जून को छुट्टी पर जाना चाहते हैं। इसलिए वे कुछ न कुछ कह रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि मतदान प्रक्रिया पर कांग्रेस के सवाल राहुल गांधी की विफलता को छिपाने के लिए उठाए जा रहे हैं।

शाह ने कहा कि विपक्षी दल ने चुनाव से पहले चुनाव निगरानी संस्था द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में ऐसा कोई सुझाव नहीं दिया था। “जब भी विपक्ष चुनाव हारता है, तो वे कुछ सवाल उठाते हैं। ईवीएम में धांधली की कोई संभावना नहीं है और वे ऐसा चुनाव चाहते हैं जिसमें धांधली हो सके।” सात चरणों वाले लोकसभा चुनाव के छह चरण समाप्त होने के बाद, भाजपा के प्रमुख रणनीतिकार ने कहा कि पार्टी का यह दावा कि 4 जून को चुनाव परिणाम आने पर उसका गठबंधन 400 सीटों का आंकड़ा पार कर जाएगा, केवल चुनावी नारा नहीं है, बल्कि एक सुविचारित लक्ष्य है।

उन्होंने कहा, “हम निश्चित रूप से 400 सीटों को पार करेंगे। हम ओडिशा, आंध्र प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश में भी सरकार बनाएंगे।” तीनों राज्यों में विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनावों के साथ ही हुए हैं।

शाह ने अपने विशिष्ट आक्रामक और स्पष्ट अंदाज में कहा, “यदि हमें 399 सीटें मिलती हैं और आप कहते हैं कि हमने 400 का आंकड़ा पार नहीं किया है, तो यह आपकी समझदारी है। लेकिन ‘400 पार’ का नारा गणना और विचार पर आधारित है।”

यह पूछे जाने पर कि क्या पार्टी मोदी पर अत्यधिक निर्भर है और क्या अपेक्षाकृत कमजोर विपक्ष को उसके गठबंधन से लाभ मिल रहा है, उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन को नकारात्मक नहीं बल्कि सकारात्मक वोट मिल रहा है।

उन्होंने कहा, “यह नकारात्मक मत नहीं है। कृपया एक बात स्वीकार करें। यह सकारात्मक मत है। जहां (राज्यों में) हम सत्ता में हैं, वहां हमें लोगों का समर्थन मिलेगा। और मेरे शब्दों पर गौर करें…जहां हम नहीं हैं, वहां हमें बड़ा जनादेश मिलेगा। इसलिए यह केंद्र सरकार के काम के लिए सकारात्मक जनादेश है।”

उन्होंने कहा कि मोदी ने भाजपा की मुख्य वैचारिक योजनाओं को मूर्त रूप दिया है, चाहे वह गरीबों का कल्याण हो, सुरक्षित देश हो, अनुच्छेद 370 को हटाना हो, पूरे देश में एक समान कानून (यूसीसी), महिला आरक्षण हो या राम मंदिर हो, उनकी लोकप्रियता स्वाभाविक रूप से भाजपा की ताकत बन जाती है। “वह हमारे सबसे बड़े नेता हैं।” उन्होंने मुख्य विपक्षी दल पर मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया, और जोर देकर कहा कि भाजपा पर झूठ बोलने का उसका आरोप खोखला है क्योंकि वह कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में पहले ही इस तरह का धार्मिक कोटा लागू कर चुकी है।

उन्होंने धार्मिक कोटा और धन के पुनर्वितरण के मुद्दे पर कांग्रेस पर मोदी के तीखे हमले का बचाव करते हुए कहा, “यदि वे लोगों को गुमराह करने के लिए सच्चाई को टुकड़ों में बांटते हैं, तो क्या यह हमारा कर्तव्य नहीं है कि हम इन टुकड़ों को एक साथ जोड़ें और लोगों को सूचित करें।”

मोदी के खिलाफ कांग्रेस के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “आपने राहुल गांधी का एक्स-रे भाषण सुना और समझा होगा। तो आप किस चीज का एक्स-रे चाहते हैं? और अगर आप इसे समान रूप से वितरित करना चाहते हैं, तो आप किसे वितरित करेंगे? मनमोहन सिंह जी ने कहा कि अल्पसंख्यक उनकी प्राथमिकता हैं। आप इसका क्या मतलब निकालते हैं।”

गरीब परिवारों की महिलाओं को एक लाख रुपये देने के कांग्रेस के वादे के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि पार्टी का इतिहास सत्ता में आने के लिए लोकलुभावन आश्वासन देने का रहा है, लेकिन उन्हें कभी पूरा नहीं किया गया।

शाह ने कहा, “वे दो-तीन राज्यों में सत्ता में हैं। उन्हें कम से कम वहां यह वादा पूरा करना चाहिए। कम से कम 1,500 रुपये देना शुरू करें जो आपने (हिमाचल प्रदेश में) वादा किया था। आप 1 लाख रुपये की बात कर रहे हैं, कम से कम 1,500 रुपये देना शुरू करें। उन पर कौन भरोसा करेगा।” जिन राज्यों में सत्तारूढ़ पार्टी बड़ी बढ़त की उम्मीद कर रही है, वहां भाजपा के लिए अपना अनुमान व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में यह 24 से 30 सीटें और ओडिशा में 16-17 सीटें जीतेगी। आंध्र प्रदेश में इसका गठबंधन करीब 17 सीटें जीतेगा। तीनों राज्यों में क्रमश: 42, 21 और 25 लोकसभा सीटें हैं।

शाह ने दावा किया कि भाजपा ओडिशा विधानसभा में पहली बार बहुमत हासिल करने के लिए तैयार है और 147 सदस्यीय सदन में 75 सीटें जीतने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि आंध्र में भी उसका गठबंधन सत्ता में आएगा।

उन्होंने कहा कि लोग भ्रष्टाचार, गाय और कोयला तस्करी तथा घुसपैठ के मुद्दों पर ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार से नाराज हैं और संदेशखली मुद्दे ने यह उजागर कर दिया है कि वह अपनी तुष्टिकरण की राजनीति में किस हद तक गिर सकती हैं।

मोदी के नेतृत्व में भाजपा तमिलनाडु और केरल में जोर आजमा रही है, जहां पार्टी अब तक इन चुनावों में ज्यादा प्रगति नहीं कर पाई है। शाह ने कहा कि पार्टी निश्चित रूप से द्रविड़ राज्य में अपना वोट शेयर बढ़ाएगी।

उन्होंने कहा, “यह बहुत कड़ा मुकाबला है। हमारे पास नई टीम है। मैं आंकड़ों के साथ अनुमान नहीं लगाऊंगा। लेकिन हमारी सीटें और वोट शेयर बढ़ेंगे और हम निश्चित रूप से तमिलनाडु में एक मजबूत नींव रखेंगे। हम केरल में अपना खाता खोल सकते हैं। हम तीन सीटों पर अच्छी स्थिति में हैं।”

(यह रिपोर्ट ऑटो-जेनरेटेड सिंडिकेट वायर फीड के हिस्से के रूप में प्रकाशित की गई है। हेडलाइन के अलावा, एबीपी लाइव द्वारा कॉपी में कोई संपादन नहीं किया गया है।)

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