कूर्म जयंती 2024: जानें तिथि, पूजा मुहूर्त, महत्व, अनुष्ठान और अधिक

कूर्म जयंती 2024: जानें तिथि, पूजा मुहूर्त, महत्व, अनुष्ठान और अधिक


छवि स्रोत: फ़ाइल छवि कूर्म जयंती 2024: जानें तिथि, पूजा मुहूर्त, महत्व, अनुष्ठान और अधिक

कूर्म जयंती एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो भगवान विष्णु के दूसरे अवतार, कूर्म, कछुए के जन्म की याद में मनाया जाता है। इस दिन को पूरे भारत में भक्तों द्वारा बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। 2024 में, कूर्म जयंती वैशाख महीने की पूर्णिमा को पड़ती है। यहाँ आपको कूर्म जयंती 2024 के बारे में जानने की ज़रूरत है, जिसमें इसकी तिथि, पूजा मुहूर्त, महत्व, अनुष्ठान और बहुत कुछ शामिल है।

कूर्म जयंती 2024: तिथि और समय

कूर्म जयंती 2024 तिथि: 23 मई, 2024

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ: 22 मई 2024 को शाम 06:47 बजे

पूर्णिमा तिथि समाप्त: 23 मई 2024 को शाम 7:22 बजे

कूर्म जयंती 2024 पूजा मुहूर्त – 23 मई 2024 को शाम 05:17 बजे से रात 08:13 बजे तक

कूर्म जयंती 2024: इतिहास और महत्व

कूर्म जयंती का हिंदू पौराणिक कथाओं और धार्मिक अभ्यास में बहुत महत्व है। कूर्म अवतार देवताओं (देवों) और राक्षसों (असुरों) द्वारा किए गए पौराणिक समुद्र मंथन (समुद्र मंथन) से जुड़ा है। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, भगवान विष्णु ने मंदरा पर्वत को सहारा देने के लिए एक विशाल कछुए का रूप लिया था, जिसका उपयोग इस ब्रह्मांडीय घटना के दौरान मंथन छड़ी के रूप में किया गया था। यह अवतार स्थिरता, समर्थन और दृढ़ता का प्रतीक है।

समुद्र मंथन के परिणामस्वरूप कई दिव्य वस्तुएं और प्राणी उत्पन्न हुए, जिनमें अमरता का अमृत भी शामिल था, जिसे देवताओं ने शक्ति प्राप्त करने और असुरों पर विजय प्राप्त करने के लिए पीया। इस प्रकार, कूर्म जयंती न केवल भगवान विष्णु का सम्मान करती है, बल्कि बुराई पर अच्छाई की जीत और धैर्य और दृढ़ संकल्प के महत्व को भी दर्शाती है।

कूर्म जयंती 2024: अनुष्ठान

कूर्म जयंती विभिन्न अनुष्ठानों और समारोहों के साथ मनाई जाती है जो अनुयायियों की गहरी भक्ति को दर्शाती है। यहाँ मुख्य प्रथाएँ दी गई हैं:

  • उपवास: भक्त अपने शरीर और मन को शुद्ध करने के लिए कूर्म जयंती पर सख्त उपवास रखते हैं, भोजन और कभी-कभी पानी से भी परहेज करते हैं। कुछ लोग केवल फल और दूध का सेवन करना चुन सकते हैं।
  • पूजा एवं प्रसाद: भगवान विष्णु को समर्पित घरों और मंदिरों में विशेष पूजा समारोह आयोजित किए जाते हैं। भक्त भगवान को फल, फूल, धूप और दीप चढ़ाते हैं। विष्णु सहस्रनाम (विष्णु के हज़ार नाम) और अन्य पवित्र ग्रंथों का पाठ करना एक आम प्रथा है।
  • पवित्र नदियों में स्नान: कूर्म जयंती पर पवित्र नदियों या अन्य पवित्र जल निकायों में डुबकी लगाना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे पापों का नाश होता है और आत्मा शुद्ध होती है।
  • दान और दान: धर्मार्थ कार्यों में शामिल होना और जरूरतमंदों को दान देना कूर्म जयंती के महत्वपूर्ण पहलू हैं। इसमें वंचितों को भोजन, कपड़े और पैसे देना शामिल है, जो करुणा और उदारता के मूल्यों को मजबूत करता है।
  • विष्णु मंदिरों के दर्शन: भक्त विष्णु मंदिरों में जाते हैं, विशेष प्रार्थनाओं में भाग लेते हैं और आशीर्वाद मांगते हैं। मंदिरों को अक्सर रोशनी और फूलों से सजाया जाता है, और पुजारी देवता का सम्मान करने के लिए विस्तृत अनुष्ठान करते हैं।



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