भारत और फ्रांस भारतीय नौसेना के लिए 26 राफेल मरीन लड़ाकू विमान सौदे के लिए कीमत और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत कर रहे हैं। यह बातचीत पहले 30 मई को होनी थी, लेकिन देश में लोकसभा चुनावों के मद्देनजर इसे जून के दूसरे सप्ताह तक के लिए टाल दिया गया था। यह बातचीत ऐसे समय हो रही है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तीसरे कार्यकाल में पहली बार इटली की यात्रा पर हैं, जहां वे जी7 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। उन्होंने शिखर सम्मेलन से इतर अपुलिया में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ द्विपक्षीय बैठक की।
रक्षा सूत्रों ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, “फ्रांसीसी प्रतिनिधिमंडल नई दिल्ली में है, जिसमें उनके आयुध महानिदेशालय के अधिकारी भी शामिल हैं, जो भारत को राफेल जेट की बिक्री की देखरेख कर रहे हैं।”
सौदे का कुल मूल्य
उन्होंने बताया कि सरकार-दर-सरकार वार्ता में भारतीय पक्ष का प्रतिनिधित्व रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत अधिग्रहण महानिदेशालय के अधिकारी तथा उपयोगकर्ता पक्ष से अन्य सैन्य अधिकारी कर रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, इस समग्र परियोजना की लागत 50,000 करोड़ रुपये से अधिक होने की संभावना है और इससे भारतीय बेड़े में इन उन्नत विमानों की संख्या बढ़कर 62 हो जाएगी, जबकि वायुसेना के बेड़े में पहले से ही 36 विमान हैं।
इन विमानों को भारतीय नौसेना के विमानवाहक पोतों से प्रचालन में लाया जाएगा, जिनमें आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत शामिल हैं।
योजना के अनुसार, भारतीय नौसेना इन विमानों को आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में आईएनएस देघा पर अपने गृह बेस के रूप में तैनात करने के लिए तैयार है।
फ्रांस ने पिछले साल दिसंबर में भारतीय नौसेना के विमानवाहक पोतों – आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य के लिए 26 राफेल मरीन जेट खरीदने के लिए भारत की निविदा पर अपना जवाब प्रस्तुत किया था। भारत के स्वीकृति पत्र पर फ्रांस ने नई दिल्ली में जवाब प्रस्तुत किया था।
भारतीय पक्ष फ्रांसीसी सरकार के अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहा है, क्योंकि यह सरकार से सरकार के बीच का अनुबंध है और भारत बेहतर सौदा पाने का प्रयास कर रहा है।
(एएनआई इनपुट्स के साथ)
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