कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मंगलवार (25 जून) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आपातकाल पर उनकी टिप्पणी को लेकर पलटवार किया और उन पर केंद्र में अपनी सत्ता के पिछले 10 वर्षों में “अघोषित आपातकाल” लागू करने का आरोप लगाया। उन्होंने इसके उदाहरण भी दिए। खड़गे ने कहा कि प्रधानमंत्री अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए अतीत को याद कर रहे हैं।
खड़गे ने एक्स पर हिंदी में लिखे एक पोस्ट में कहा, “नरेंद्र मोदी जी, देश भविष्य की ओर देख रहा है लेकिन आप अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए अतीत को कुरेदते रहते हैं। पिछले 10 वर्षों में आपने 140 करोड़ भारतीयों को एहसास कराया कि ‘अघोषित आपातकाल’ क्या होता है, जिसने लोकतंत्र और संविधान को गहरा आघात पहुंचाया।”
उन्होंने कहा, “पार्टियों को तोड़ना, पिछले दरवाजे से चुनी हुई सरकारों को गिराना, 95 प्रतिशत विपक्षी नेताओं के खिलाफ ईडी, सीबीआई, आईटी जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग करना, मुख्यमंत्रियों को जेल में डालना और चुनाव से पहले सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल करना और समान अवसर प्रदान करना, क्या यह अघोषित आपातकाल नहीं है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने क्या कहा?
उनकी यह टिप्पणी प्रधानमंत्री द्वारा मंगलवार को दिए गए उस बयान के बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि जिन लोगों ने आपातकाल लगाया, उन्हें संविधान के प्रति प्रेम जताने का कोई अधिकार नहीं है।
उन्होंने कहा, “जिस मानसिकता के कारण आपातकाल लगाया गया था, वह उसी पार्टी में जीवित है जिसने इसे लगाया था। वे अपने दिखावे के माध्यम से संविधान के प्रति अपने तिरस्कार को छिपाते हैं, लेकिन भारत के लोगों ने उनकी हरकतों को देख लिया है और इसीलिए उन्होंने उन्हें बार-बार खारिज किया है।”
खड़गे ने ‘सर्वसम्मति’ वाली टिप्पणी पर प्रधानमंत्री का जवाब दिया
प्रधानमंत्री मोदी पर पलटवार करते हुए खड़गे ने कहा, ‘‘मोदी जी आम सहमति और सहयोग की बात करते हैं लेकिन उनकी हरकतें इसके ठीक विपरीत हैं।’’
कांग्रेस अध्यक्ष ने पूछा कि जब 146 विपक्षी सांसदों को संसद से निलंबित कर दिया गया और दंड प्रक्रिया संहिता, भारतीय दंड संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में बदलाव के लिए तीन नए कानून लाए गए, तब आम सहमति कहां थी।
उन्होंने कहा, “जब विपक्ष से पूछे बिना ही छत्रपति शिवाजी, महात्मा गांधी और बाबासाहेब अंबेडकर जैसी महान हस्तियों की मूर्तियों को संसद परिसर में स्थानांतरित कर दिया गया था, तब आम सहमति कहां थी। जब 15 करोड़ किसान परिवारों पर तीन नए कृषि कानून थोपे गए और उन्हें महीनों तक सड़कों पर बैठना पड़ा और उन पर अत्याचार किए गए, तब भी यह आम सहमति कहां थी।”
खड़गे ने कहा कि ऐसे कई अन्य उदाहरण हैं जब सरकार ने आम सहमति का इस्तेमाल नहीं किया, जिनमें नोटबंदी, लॉकडाउन और चुनावी बांड कानून शामिल हैं।
25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू कर दिया, नागरिक स्वतंत्रता को निलंबित कर दिया, विपक्षी नेताओं और असंतुष्टों को जेल में डाल दिया तथा प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी।
(पीटीआई इनपुट्स के साथ)
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